कुमार कार्तिकेय सिंह ने हाल ही में मुंबई इंडियंस के लिए आईपीएल में पदार्पण किया और पहले ही मैच में बाएं हाथ के स्पिनर ने काफी प्रभावित किया।
क्रिकेट विशेषज्ञों ने उनके नियंत्रण और विविधता की काफी तारीफ की। इस युवा खिलाड़ी ने महज छह महीने पहले टी20 में एक सफल करियर बनाने के लिए फिंगर और रिस्ट स्पिनर के तौर पर ढाल लिया।
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कार्तिकेय 15 वर्ष के थे जब वह कानपुर से एक क्रिकेट अकादमी में दाखिला लेने के लिए दिल्ली आए थे। उन्होंने अपने कांस्टेबल पिता को आश्वस्त किया कि उनके क्रिकेट
खेलने से परिवार की वित्तीय स्थिति प्रभावित नहीं होगी। उनकी आर्थिक स्थिति के बारे में जानने के बाद संजय भारद्वाज अपनी एकेडमी में मुफ्त में दाखिला दिया।
यह कार्तिकेय के संघर्षों की शुरुआत थी। उन्हें अभी भी खुद को आय का स्रोत और रहने के लिए जगह ढूंढनी थी। उनको गाजियाबाद के पास एक कारखाने में मजदूर के रूप में काम मिला
जो एकेडमी से 80 किमी दूर था। सारी रात काम करने के बाद कार्तिकेय बिस्किट के पैकेट खरीदने के खातिर 10 रुपये बचाने के लिए मीलों पैदल चलते थे।
जब भारद्वाज को इसके बारे में पता चला, तो उन्होंने बाएं हाथ के स्पिनर को अपनी एकेडमी में रहने के लिए जगह देने बात कही, जहां उनका रसोइया रहता था।